मेडिकल कॉलेज कांकेर के अलबेलापारा स्थित एमसीएच अस्पताल में कम संसाधनों के बीच डॉक्टरों ने एक मरीज की जान बचा ली। 9 वर्षीय मरीज को काफी जहरीले माने जाने वाले करैत सांप ने सीधे सिर में ही डस लिया था। डसते ही जहर का असर बालक के दिमाग में हुआ और वह बेहोश हो गया। सांस भी उखड़ने लगी। समय रहते परिजनों ने उसे अस्पताल पहुंचाया और 12 घंटे तक मशक्कत कर डॉक्टरों ने उसकी जान बचा ली।
कांकेर विकासखंड के ग्राम कापसी में 23 जुलाई की सुबह बालक शैलेंद्र सलाम 9 साल को करैत सांप ने काट लिया। बालक अपने पिता यशपाल सलाम व भाई के साथ सोया हुआ था। अचानक सांप उसके कपड़ों में घुसने लगा तो बालक की आंख खुल गई। जिसे देख उसने अपने पिता को उठाया। जबतक सांप उसकी पीठ पर चढ़ गया। पिता ने जैसे ही सांप को हटाने की कोशिश की वह बालक के सिर के पीछे हिस्से में डस दिया। जिससे बालक वहीं गिर गया।
सांप को भगाया गया और बालक को तत्काल पास के अस्पताल पहुंचाया गया। जहां से उसकी स्थिति को देखते हुए कांकेर मेडिकल कॉलेज के एमसीएच अलबेला पारा रेफर किया गया। सुबह 7 बजे वह अस्पताल पहुंचा। यहां डॉक्टरों ने उसकी स्थिति देख तत्काल उसे वेंटीलेटर पर लिया। अस्पताल के एचओडी डॉ. भगत बघेल तथा डॉ. हेमंत नाग ने बताया परिजनों के बताए अनुसार बालक के सिर में सांप के काटने के निशान दिख रहे थे। सिर में काटने से उसका जहर सीधे दिमाग में पहुंच गया था। जिसके प्रभाव से तेजी से उसकी हालत बिगड़ रही थी। सांस भी उखड़ गई थी। अलबेला पारा अस्पताल से उसे बाहर रेफर करने का समय नहीं था। साथ ही अलबेला पारा अस्पताल में उतने संसाधन भी नहीं थे।
फिर भी तत्काल डॉक्टरों की टीम ने निर्णय लिया और बालक को वेंटिलेटर में डाल उसे एंटी वेनम देना शुरू किया गया। सभी डॉक्टर बारी बारी से लगातार उसका इलाज करते मरीज की हर स्थिति पर नजर बनाए हुए थे। 12 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद रात 8 बजे बालक को होश आया और उसके अंग हरकत करने लगे।
सप्ताह भर बाद जब उसकी सांस वापस आई तो उसे लाईफ सपोर्टिंग सिस्टम से बाहर निकाल दिया। पूरी तरह स्वस्थ्य होने पर उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। अस्पताल के एचओडी डॉ. भगत बघेल ने कहा यदि किसी को सांप या अन्य जहरीले जीव काटते हैं तो वे झाड़ फूंक के चक्कर में न पड़े। अस्पताल में इसका पूरा इलाज है। समय पर मरीज को अस्पताल पहुंचाने पर उसकी जान बचाई जा सकती है।