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स्वच्छ भारत मिशन की आड़ में सरकारी खजाने को किया साफ


 *स्वच्छ भारत मिशन की आड़ में सरकारी खजाने को किया साफ*


*साजिश या भरोसा क्या था कारण, कौन कौन है शामिल*


*नियम विरुद्ध दिया गया अधिकार, विस्तृत जांच में सब आएगा सामने - सीडीओ*


*चित्रांश विकास श्रीवास्तव, एडवोकेट*


*सृष्टि चतुर्वेदी, एडवोकेट*


उरई (जालौन):- देश का आका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के आका मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ देश और प्रदेश में घोटालों और धांधलियों पर विराम लगाने के लिए चाहे जितने ठोस और कठोर कदम उठा ले लेकिन उनके ही सरकारी महकमे के उनके नुमाइंदे ही उनकी मंशा को पलीता लगाने में कोई कोर कसर छोड़ना नही चाह रहे है जिसकी एक बानगी उस समय देखने को मिली जब नियम विपरीत जाकर कंप्यूटर ऑपरेटर को वित्तीय पावर दिए जाने के कारण सरकारी खजाने से लाखो रुपये के फर्जीवाड़े का मामला सामने आया।


बता दे कि शुक्रवार को जनपद के सीडीओ भीम जी उपाध्याय द्वारा डीपीआरओ कार्यालय का निरीक्षण किया गया निरीक्षण के दौरान उनको स्वच्छ भारत मिशन के प्रचार प्रसार वाले मद में दर्शाए गए खर्च में गड़बड़ी समझ आई जिसका उन्होंने बारीकी निरीक्षण किया और इसके साथ साथ अकाउंटेंट मनोज कुमार वर्मा से पूछा तो अकाउंटेंट मनोज कुमार वर्मा कोई जानकारी न दे सके जिसके बाद उन्होंने अन्य अकाउंटेंट से भी जांच कराई गई तो स्वच्छ भारत मिशन प्रचार प्रसार मद की आड़ में सरकारी खजाने को साफ किये जाने का मामला सामने आया। अभी प्रारंभिक जांच में 58 लाख 98 हजार 544 रुपये रुपये के फर्जीबाड़े का मामला पकड़ में आया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार पता चला है कि पूर्व डीपीआरओ अभय कुमार यादव ने 14 नवम्बर 2019 को मनोज कुमार वर्मा को कंप्यूटर आपरेटर पद की जिम्मेदारी दी थी और उसे आईडी और पासवर्ड प्रयोग करने के लिए भी अधिकृत कर दिया था। जिसके कुछ समय बाद पूर्व सीडीओ अभय कुमार द्वारा संस्तुति की गई कि वह उनके डिजिटल हस्ताक्षर का प्रयोग करके लेनदेन भी कर सकता है जिसके बाद उसको वित्तीय पावर भी हाथ लग गई और उसने इस पावर का दुरुपयोग करके स्वछ भारत मिशन की आड़ में सरकारी खजाने की सफाई करने में कोई गुरेज नही किया। जिसके चलते उसने गत 3 अक्टूबर को इस मद से शैलेन्द्र कुमार वर्मा के खाते में 6 लाख 30 हजार और इसी के साथ सफाई कर्मचारी विकेंद्र कुमार के खाते में गत 15 अक्टूबर को 8 लाख 30 हजार, गत 2 दिसम्बर को 8 लाख 87 हजार और गत 18 जनवरी को 35 लाख 51 हजार 544 रुपये भेज कर कुल 58 लाख 98 हजार 544 रुपयों की बड़ी रकम सरकारी खजाने से उड़ा दी।


*साजिश या भरोसा क्या था कारण, कौन कौन है शामिल*


- वैसे तो हम सब जानते है कि वित्तीय मामलों में बड़ी सतर्कता और सुरक्षा बरती जाती है लेकिन इस मामले में सतर्कता और सुरक्षा का पूर्ण मखौल उड़ाते हुए पूर्व सीडीओ अभय कुमार श्रीवास्तव द्वारा नियम विरुद्ध जाकर एक कंप्यूटर आपरेटर/अकाउन्टेन्ट को डिजिटल हस्ताक्षर का प्रॉयग करने का अधिकार देने और इतनी बड़ी धांधली को न पकड़ भी न पाना कई ओर इशारा कर रहा है जिसके बाद कई सवाल भी खड़े होने लगे है जिसमे सबसे बड़ा सवाल यह है कि एक कंप्यूटर ऑपरेटर/अकॉन्टेन्ट को डिजिटल हस्ताक्षर का प्रयोग करने की अनुमति देना का कारण मात्र भरोसा था या इसके पीछे कोई साजिश पहले ही रची जा चुकी थी और इस धांधली और फर्जीवाड़े में कौन कौन शामिल है जिसका जबाब भविष्य के गर्त में छिपा हुआ है लेकिन अभी हाल में सीडीओ के निर्देश का बाद डीपीआरओ डॉ अवधेश कुमार ने उक्त तीनों लोगों के खिलाफ तहरीर दी दी थी और पुलिस ने सम्बंधित धाराओं में मामला दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।



*नियम विरुद्ध दिया गया अधिकार, विस्तृत जांच में सब आएगा सामने - सीडीओ*


- जब इस मामले को लेकर सीडीओ भीम जी उपाध्याय से बात की गई और उन्होंने बताया कि डिजिटल हस्ताक्षर का प्रयोग करने की संस्तुति करना नियम विरुद्ध कार्य तो है लेकिन हो सकता है भरोसे के कारण कर दिया गया हो और जब उनसे पूछा गया कि इसमे पूर्व सीडीओ या डीपीआरओ की संलिप्तता सामने आई है क्या तो उन्होंने कहा कि अभी प्रारंभिक जांच हुई है लेकिन इसमें कौन कौन शामिल रहा है इसका खुलासा विस्तृत जांच में होगा।

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