योगी के रामराज्य में जिम्मेदार मौन, कार्यवाही करेगा कौन



योगी के रामराज्य में जिम्मेदार मौन, कार्यवाही करेगा कौन


जांच में अटका पूर्व जिलाध्यक्ष की दबंगई का मामला


चित्रांश विकास श्रीवास्तव


उरई (जालौन):- प्रदेश के आका मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश के पुलिस मुखिया विजय कुमार प्रदेश में रामराज्य स्थापित करने के प्रयासों के साथ प्रदेश से माफियाओं को मिटाने का चाहे जितना दावा कर लें लेकिन उनके प्रयासों और दावों को खोखला करने में उनके अधीनस्थ ही कोई कोर कसर छोड़ना नही चाहते है और उल्टा दबंग और भूमाफियाओं को संरक्षण देने में लगे है। जिसकी एक बानगी पूर्व जिलाध्यक्ष और उनके साथियों द्वारा की गई मारपीट और जमीन पर जबरन कब्जा करने के मामले में अभी तक कोई कार्यवाही न होने और पीड़ित परिवार को न्याय पाने को दर दर भटकने के मामले में देखने को मिल रही है।


बता दे कि थाना सदर कोतवाली उरई के क्षेत्रान्तर्गत मुहल्ला पटेल नगर निवासी लल्लू पुत्र पुनू ने विगत 24 तारीख को पुलिस अधीक्षक जालौन को शिकायती प्रार्थना पत्र देकर बताया था कि पीड़ित मौजा उरई (अंदर हद नगर पालिका) स्थित गाटा 1122/2 रकवा 81 डिसमिल का  राजस्व अभिलेखों में दर्ज मालिक काबिज दखील है इसी के साथ पीड़ित ने बताया था विगत 20 तारीख को कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष अनुज मिश्रा और उनके साथी उसकी जमीन पर जबरन कब्जा कर है थे जब उसने मना किया तो उसके साथ मारपीट की थी जिसके बाद उसने पुलिस अधीक्षक जालौन से न्याय की गुहार लगाई थी और साथ ही साथ जब मीडिया के गलियारे से इस मामले की जानकारी एडीजी जोन कानपुर तक पहुंची तो उन्होंने भी जालौन पुलिस को इस मामले का संज्ञान लेकर आवश्यक कार्यवाही हेतु निर्देशित किया गया था जिसके आधार पर इस मामले की जांच क्षेत्राधिकारी नगर को सौंपी गई थी किन्तु खुलेआम दबंगई से मारपीट करने और जबरन जमीन पर कब्जा करने का मामला कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष से जुड़े होने के कारण अभी तक जांच में ही अटका हुआ है और इस मामले में कोई कार्यवाही नही हुई है जिससे पीड़ित परिवार भयभीत है और न्याय पाने के लिए दर दर भटक रहा है और अब पीड़ित ने न्याय की उम्मीद के साथ जिलाधिकारी जालौन से न्याय की उम्मीद लगाते हुए शिकायती प्रार्थना सौंपा है लेकिन पीड़ित को न्याय मिलेगा या नही इसका जबाब भविष्य के गर्त में छिपा है लेकिन योगी के रामराज्य में पीड़ित के साथ हुई घटना की शिकायत पर अभी तक कोई कार्यवाही न होने से चर्चाओं का बाजार गर्म है और अब यह सवाल उठने लगा है कि जब पीड़ित को दिलाने में जिम्मेदार ही मौन है तो फिर इस मामले में कार्यवाही कौन करेगा।







कांग्रेस के मिशन 2024 में बाधा न बन जाये पूर्व जिलाध्यक्ष


- जैसा कि कहा जाता है कि राजनीति के गलियारे में दिल्ली पहुंचने का रास्ता उत्तर प्रदेश से तय होता है और 2024 के चुनाव में दिल्ली पहुंचने के लिए कांग्रेस भी उत्तर प्रदेश में अपनी जड़ें मजबूत करने में लगी है लेकिन जहां प्रदेश की भाजपा सरकार की माफियाओं को मिटाने और महिला सुरक्षा को प्राथमिकता देने वाली बात जनता को अपनी ओर आकर्षित कर रही है तो वही कांग्रेस द्वारा गैगस्टर में वांछित और छेड़छाड़ के मामले में दो युवतियों द्वारा सरेराह चप्पल मसाज से राजतिलक करा चुके अनुज मिश्रा को पार्टी में पदोन्नति देना जनता की निगाह में पार्टी की छवि को नकारात्मक रूप प्रदान करता है क्योंकि जब छेड़छाड़ के मामले में अनुज मिश्रा को दो युवतियों द्वारा चप्पल मसाज का सुखानन्द प्रदान किया गया था तब अनुज मिश्रा जिलाध्यक्ष जालौन के पद पर नियुक्त थे और चप्पल मसाज मिलने के बाद नेता जी को कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश सचिव के पद से नवाजा था जिसके बाद चर्चाओं के बाजार पर गौर किया जाए तो इसको लेकर यह बात सुनने को मिलती है कि कांग्रेस आपराधिक छवि वाले और युवतियों से छेड़छाड़ करने वाले नेताओं को संरक्षण प्रदान करती है तो इनकी सत्ता में महिला सुरक्षा कैसे हो पाएगी जिसको लेकर यह कहना गलत नही होगा कि गैंगस्टर में वांछित आपराधिक छवि वाले और युवतियों से छेड़छाड़ के मामले में सरेराह पिटने वाले नेता को पार्टी में स्थान देना 2024 में उत्तर प्रदेश के रास्ते दिल्ली पहुंचने के कांग्रेस के सपने में बाधा न बन जाये






सदर कोतवाल और भूमाफियाओं का नाता है पुराना


- यह कोई पहला मामला नही है जिसमे सदर कोतवाल उरई द्वारा भूमाफियाओं पर कार्यवाही न करके उल्टा उनको संरक्षण दिया जा रहा हो बल्कि वास्तविकता यह है कि सदर कोतवाल उरई और भूमाफियाओं का नाता बहुत पुराना है और इसके पहले भी अन्य मामलों में भी सदर कोतवाल उरई शिवकुमार सिंह राठौर उरई पर भूमाफियाओं से सांठगांठ करने और संरक्षण देने के आरोप लगातार लगते चले आ रहे है जो उनकी कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगाते है। इतना ही नही यदि सूत्रों की माने तो उनका दावा है कि कोतवाली उरई की तीसरी आंख पर यदि नजर की जाए तो सदर कोतवाल उरई शिवकुमार सिंह और भूमाफियाओं के बीच के मेल जोल को बखूबी देखा जा सकता है।



मुझे नही जानकारी, लापरवाही का जिम्मेदार कौन


- इस मामले की भनक जब खबर के माध्यम से एडीजी कानपुर जोन के कानों तक पहुंची थी तो उन्होंने गत 26 तारीख को तुरंत ही मामले का संज्ञान लेकर आवश्यक कार्यवाही के लिए जालौन पुलिस को ट्विटर के माध्यम से निर्देशित किया था जिस पर  जालौन पुलिस का ऑफिसियल ट्विटर अकाउंट हैंडल करने वाले पुलिसकर्मी ने जबाब दिया था कि इस मामले की जांचकर आवश्यक कार्यवाही हेतु क्षेत्राधिकारी नगर को निर्देशित कर दिया गया है लेकिन जब इसके करीब 6 दिन बाद क्षेत्राधिकारी नगर से मामले में अभी तक हुई कार्यवाही के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि मुझे इस मामले की कोई जानकारी नही है आप प्रार्थना पत्र दीजिये हम मामले को दिखवाते है। जिसके बाद से अब यह सवाल उठने लगा है कि जब एक पीड़ित की समस्या को लेकर उच्च अधिकारी ने संज्ञान लेकर आवश्यक कार्यवाही को निर्देशित किया और उसके जबाब ने जांच अधिकारी नियुक्त कर दिए जाने का जबाब भी दिया गया लेकिन जांच अधिकारी को जांच के लिए अवगत न कराने की लापरवाही का जिम्मेदार कौन है? चूंकि इस मामले में अभी तक जांच अधिकारी को अवगत न कराने  की वजह से कोई कार्यवाही नही हो पाई और कार्यवाही न होने से न्याय पाने को पीड़ित परिवार को दर दर भटकना पड़ रहा है और साथ ही साथ कार्यवाही न होने से जांच अधिकारी पर भी सवालिया निशान लग रहे है। इस तरह की लापरवाही की वजह से एक पीड़ित को न्याय मिलने में देरी होती है और एक अधिकारी की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगता है इसलिए इस तरह की लापरवाही करने वाले पुलिसकर्मियों के विरुद्ध भी विभागीय कार्यवाही अमल में लाई जानी चाहिए।




सख्त हिदायत के बाद भी नही आ रहा सुधार


- जैसा कि हम सब जानते है कि थाना एट क्षेत्र में एक नाबालिक लड़की के मामले में पुलिस की लापरवाही पूर्व रवैये से आहत पिता द्वारा आत्महत्या कर लेने के मामले के बाद जिले के तेजतर्रार न्यायप्रिय पुलिस अधीक्षक ने सख्त तेवर अपनाते हुए विभागीय लोगों को खुली चेतावनी दी थी कि मेरे साथ काम करने वालों को पंचायत मोड़ से बाहर निकलना होगा और किसी भी कर्मचारी की लापरवाही बर्दाश्त नही की जाएगी लेकिन अभी भी विभाग के कुछ कर्मचारी पुलिस अधीक्षक जालौन की इस चेतावनी को मौका पाकर ठेंगा दिखाने में लगे हुए है जिसकी एक बानगी पीड़ित के इस मामले में भी देखने को मिली है जहां एक ओर एडीजी जोन कानपुर मामले का संज्ञान लेकर आवश्यक कार्यवाही हेतु निर्देशित करते है तो जालौन पुलिस का ट्विटर एकाउंट हैंडल करने वाले पुलिसकर्मी द्वारा उनको वापिसी जबाब में अवगत कराया गया कि मामले की जांच क्षेत्राधिकारी नगर को सौप दी गई है लेकिन आश्चर्यजनक बात यह है कि पीडित को न्याय दिलाने के लिये जिस अधिकारी को नियुक्त किये जाने की बात बताई गई उस अधिकारी को इस मामले या बात से अवगत तक नही कराया गया जो स्वयं में विभागीय अनुशासनहीनता का एक बड़ा उदाहरण भी है। जिसके बाद अब देखने लायक बात यह होगी कि एक वरिष्ठ अधिकारी के निर्देश को नजरअंदाज करने की लापरवाही के लिए जिम्मेदार पुलिसकर्मी पर विभागीय कार्यवाही अमल में लाई जाती है या नही। जिसका जबाब भविष्य के गर्त में छिपा है।



जिला अपराध संवाददाता


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